गेस्ट हाउस पहुँचने पर उसके मालिक मिस्टर वादामुट्टू ने हमारा स्वागत किया... और इस स्वागत के दौरान मोरिशस के "लाइफ स्टाइल " के बारे में बताया और वहां बढती मंगहाई से अपने गेस्ट हाउस के थोड़ा मंहगा होने को वाजिब ठहराने की कोशिश की ... खैर सोमवार का दिन था और मुझे ऑफिस भी ज़रूर जाना था , इसलिए टैक्सी वाले को १ घंटे का समय दे कर मैं तैयार हो , लंच टाइम तक ऑफिस पहुँच गया ... ऑफिस में सबसे पहली मुलाक़ात "गौरी" से हुई , जिस ने मेरी टैक्सी और गेस्ट हाउस का प्रबंध किया था ... थोडी ही देर में "जैक" भी लंच से वापस आ गया ... मैं यहाँ उसी की जगह लेने आया था ... थोडी देर बात कर हम ने अपना काम शुरू किया और शाम होने तक "जिमुत" ( ऑफिस -हेड ) से मुलाक़ात कर गेस्ट हाउस वापस लौट आया... जैसे सुना था वैसे ही पाया ... शाम को जब ७ बजे हम दोनों बाहर घूमने आए तो देखा लगभग सभी कुछ बंद हो गया था ... हम दोनों को ये बहुत ही अजीब लगा , क्योंकि ऐसे माहौल के हम लोग आदीनही है ... खैर दोनों थक चुके थे इस लंबे सफर से सो खाना खा कर सो गये ... यहाँ कहना होगा गेस्ट हाउस में खाना बहुत ही अच्छा था... गेस्ट हाउस के मालिक की पत्नी ख़ुद खाना बनाती थी ...
इस तरह मोरिशस का पहला दिन पूरा हुआ ... अब आगे के दिनों का इंतज़ार था ...
इस तरह मोरिशस का पहला दिन पूरा हुआ ... अब आगे के दिनों का इंतज़ार था ...