Sunday, March 22, 2009

पहला दिन मोरिशस मे...

गेस्ट हाउस पहुँचने पर उसके मालिक मिस्टर वादामुट्टू ने हमारा स्वागत किया... और इस स्वागत के दौरान मोरिशस के "लाइफ स्टाइल " के बारे में बताया और वहां बढती मंगहाई से अपने गेस्ट हाउस के थोड़ा मंहगा होने को वाजिब ठहराने की कोशिश की ... खैर सोमवार का दिन था और मुझे ऑफिस भी ज़रूर जाना था , इसलिए टैक्सी वाले को १ घंटे का समय दे कर मैं तैयार हो , लंच टाइम तक ऑफिस पहुँच गया ... ऑफिस में सबसे पहली मुलाक़ात "गौरी" से हुई , जिस ने मेरी टैक्सी और गेस्ट हाउस का प्रबंध किया था ... थोडी ही देर में "जैक" भी लंच से वापस आ गया ... मैं यहाँ उसी की जगह लेने आया था ... थोडी देर बात कर हम ने अपना काम शुरू किया और शाम होने तक "जिमुत" ( ऑफिस -हेड ) से मुलाक़ात कर गेस्ट हाउस वापस लौट आया... जैसे सुना था वैसे ही पाया ... शाम को जब ७ बजे हम दोनों बाहर घूमने आए तो देखा लगभग सभी कुछ बंद हो गया था ... हम दोनों को ये बहुत ही अजीब लगा , क्योंकि ऐसे माहौल के हम लोग आदीनही है ... खैर दोनों थक चुके थे इस लंबे सफर से सो खाना खा कर सो गये ... यहाँ कहना होगा गेस्ट हाउस में खाना बहुत ही अच्छा था... गेस्ट हाउस के मालिक की पत्नी ख़ुद खाना बनाती थी ...
इस तरह मोरिशस का पहला दिन पूरा हुआ ... अब आगे के दिनों का इंतज़ार था ...

Saturday, March 14, 2009

मोरिशस का सफर ...


बंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे शाम को ६:३० पर हमारी फ्लाईट थी , जिस के लिए हम ४:०० बजे हवाई अड्डे पहुँच गये और सारी औपचारिकताए पूरी कर , फ्लाईट बोर्डिंग का इंतज़ार करने लगे... ये "अमीरात" की फ्लाईट थी और समय पर बंगलोर से चल दी ...

हमारी फ्लाईट पहले दुबई जानी थी और वहां से हमे दूसरी फ्लाईट लेनी थी ... फ्लाईट ठीक समय ९:०० रात को दुबई पहुँच गई .... यहाँ से दूसरी फ्लाईट २:३० (देर रात ) थी... हमारे पास लगभग ४:३० घंटे थे ... हम दोनों जल्दी से अपने टर्मिनल पहुँच गये ...

दुबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बहुत ही बडा है और उनता ही खूब सुरती से बनाया गया है ... वहां की एक एक चीज़ में खूब सुरती और नज़ाकत साफ़ झलकती है ... वहां के बाज़ार " ड्यूटी फ्री " की चकाचौंध देखते ही बनती है ... ये बाज़ार " सोने के जेवर " , इत्र , तम्बाको , कोस्माटिक समान , कांच का समान , घडिया और इलेक्ट्रॉनिक के समान से भरा पूरा है ... यहाँ पर खरीद दारी का अपना ही अनूठा अनुभव है ... हम शायद वापसी के समय ये अनुभव ले :)...

दूसरी फ्लाईट का समय हो चला था और हम दोनों उसके लिए तैयार थे ... फ्लाईट में बैठ कर थोडी देर में हम दोनों कब सो गये पता नही चला .... सुबह मोरिशस के करीब पहुँच कर आँख खुली और बहार देखा तो मारीशियस का नीला समंदर दिखाई दिया... वास्तव में ये मंजर बहुत ही सुंदर था... मोरिशस की खूबसूरती की तारीफ़ यों ही नही की जाती ... बे-शक आसमान से देखने पर बहुत खूब सूरत लगने में कुछ देशों में से एक देश है : मोरिशस...

सुबह १०:०० बजे फ्लाईट मोरिशस पहुँची और सब औपचारिकता पूरी कर हम दोनों हवाई अड्डे के बाहर आए ... हमारे लिए टैक्सी इंतजार कर रही थी ... उसमे बैठ कर हम दोनों अपने " गेस्ट हाउस" पहुंचे ... रास्ते भर हम दोनों मोरिशस की खूब सुरती को निहारते जा रहे थे ...

आगे एक लंबा सफर हमारा इंतज़ार कर रहा था ... हाँ हमे साल भर जो रहना है यहाँ ...

वो आखरी दिन मैसूर के ...


अगस्त'०८ में जब मोरिशस जाने की बात पहली बार हुई तो खुशी का ठीकाना न था ... पता था हमारे लिए बाहर जाने की उम्मीद काफ़ी कम थी , मगर बिल्कुल न थी ऐसा भी नही था ... जैसा की बोला गया था वैसे मैंने मोरिशस के बारे में जानकारी जुटाईऔर अपनी तरफ़ से जाने की हरी झंडी दिखा दी ... बात इसके बाद एक ठंडे बस्ते में चली गई और मै भी अपनी जगह चुप चाप समय का इंतज़ार करने लगा ...
अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में मुझे जाने की हरी झंडी मिली... जल्दी जल्दी से हम दोनों (मैं और निशु ) ने घर का समान ठीकाने लगया ... वास्तव में श्री-मति जी ने समान बाँधने में जो फुर्ती और कुशलता दिखाई , वो तारीफ़ के काबिल थी ...
खैर , ९ नवम्बर'०८ का दिन आ पहुँचा जिस दिन हमे मोरिशस के लिए निकलना था ... लोबो आंटी (हमारे पड़ोसी ), अपने दोस्तों (अभिजीत , अभिषेक , वैभव , लिजा और मधु ) को मिल कर और उनकी शुभकामनाये ले कर हम दोनों निकल पडे अपने नये सफर को...
घर पर भी सभी को जाने का पता था और सभी खुश थे ... सब को छोड़ कर जाने से दिल भारी ज़रूर था , मगर ऐसे अवसर नही छोडे जाते यही बात दिल में लिए हम खुश थे ...